متى نرجو لغُمتّنا انكسَافاً | | |
| وقد أمسى الشقاق لنا مَطافا | |
ملأنا الجوّ بالجدل اصطخاباً | | |
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| من الأقوال نُرسلها جُزافا | |
ونُرجف في البلاد بكل رُعبٍ | | |
| يهُزّ فرائص الأمن ارتجافا | |
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وكم من ناعب في القوم يدعو | | |
| بوَشك البين تحسبه الغدافا | |
تباكينا على الوطن اختداعاً | | |
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| لنملأ في موائدنا الصِحافا | |
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| غداً يتشمّم الحدث الجُرافا | |
ويُوشِك أن يُمزّق منخرَيه | | |
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| تردّ به الهزاهز والنِقافا | |
أقول ولو يَسوء القومَ قولي | | |
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قد اختلف البريّة واختلفنا | | |
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| وغيرَ هواه ما ارتشفوا سلافا | |
فحبّ سواه في الأفواه جارٍ | | |
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إذا خطب الوضيعُ به المعالي | | |
| أقام له بنو الشرف الزِفافا | |
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| قد اخترقوا إلى الفتن السجافا | |
يُجانف بعضهم في الرأي بعضاً | | |
| وبئس الرأي ما التزم الجنافا | |
لئن خطَأت من راموا اتحاداً | | |
| فما صَوّبت من راموا ائتلافا | |
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| كلا الحزبين يرتشف ارتشافا | |
وهم كأُولي الديانة كل حزب | | |
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